Clever monkey and crocodile | चतुर बंदर और मगरमच्छ | चालबाज दोस्त | हिंदी कहानी | Small story for kids
चतुर बंदर और मगरमच्छ की कहानी – Clever monkey and crocodile small story for kids
एक घने जंगल के बीचोंबीच एक विशाल और बेहद सुंदर नदी बहती थी. उस जंगल के सारे जीव जन्तु उसी नदी के पानी पिने के लिए आते.
और पानी पीते एवं वहा रूककर कुछ देर वही विश्राम करते और वहा से चले जाते.
इस नदी सबसे बड़ी खासियत यह थी की नदी के किनारे एक बेहद बड़ा और घना सा पेड़ था,
जिस पर एक चलाक और हंसमुख एक बंदर रहता था. वह बंदर दिनभर उस पेड़ पर फल खाता और वही , झूलता और बहुत मस्ती करता रहता था.
उसी नदी के पानी में एक मगरमच्छ और उसकी पत्नी रहते थे. एक दिन, मगरमच्छ की पत्नी ने मगरमच्छ से कहा, “मुझे बंदर का दिल खाने का बहुत मन कर रहा है.
अगर तुम मेरे लिए उसका दिल ला सको, तो मैं उसे खाकर बहुत खुश हो जाऊँगी.
मगरमच्छ ने अपनी पत्नी की यह इच्छा पूरी करने का उससे वादा किया. और अगले दिन, वह नदी के किनारे गया और पेड़ के नीचे जाकर बंदर से बोला,
“बंदर भाई, तुम पूरे जंगल में सबसे बुद्धिमान और मस्तीखोर हो. मेरी पत्नी और मैं तुमसे दोस्ती करना चाहते हैं. क्या तुम हमारे घर आकर हमारे साथ भोजन करोगे?
बंदर पहले तो संदेह में था, लेकिन मगरमच्छ की मीठी बातों में आकर उसने नदी पार करने का निर्णय लिया. मगरमच्छ ने कहा,
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“तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ, मैं तुम्हें अपने घर ले चलता हूँ.
बंदर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया और वे दोनों नदी पार करने लगे. जैसे ही वे नदी के बीच में पहुँचे, मगरमच्छ ने सोचा कि अब समय आ गया है सच्चाई बताने का.
उसने बंदर से कहा, “बंदर भाई, सच तो यह है कि मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है, इसलिए मैं तुम्हें अपने घर ले जा रहा हूँ.
बंदर ने तुरंत अपनी चतुराई का उपयोग करने का निर्णय लिया. उसने मगरमच्छ से कहा, “ओह, तुमने पहले क्यों नहीं बताया? मेरा दिल तो इस पेड़ पर है.
मैंने उसे तोड़कर रख दिया है ताकि कोई चोरी न कर सके. अगर तुम्हें मेरा दिल चाहिए, तो हमें वापस उस पेड़ पर जाना होगा.
मगरमच्छ ने बंदर की बातों पर विश्वास कर लिया और वापस पेड़ की ओर तैरने लगा. जैसे ही वे पेड़ के पास पहुँचे, बंदर तेजी से मगरमच्छ की पीठ से कूदकर पेड़ पर चढ़ गया और सुरक्षित स्थान पर पहुँच गया.
उसने हँसते हुए मगरमच्छ से कहा, “तुम्हें क्या लगा, मैं अपना दिल अपने शरीर से अलग रखता हूँ? तुम कितने मूर्ख हो! अब जाओ और अपनी पत्नी को बताओ कि तुम मुझे धोखा नहीं दे सके.
मगरमच्छ को अपनी मूर्खता पर बहुत शर्मिंदगी हुई. वह खाली हाथ अपनी पत्नी के पास लौट आया और उसे पूरी कहानी सुनाई.
उसकी पत्नी ने भी उसे डांटते हुए कहा, “तुमने अपनी बुद्धि का उपयोग नहीं किया और बंदर ने तुम्हें बड़ी ही आसानी से बेवकूफ़ बना दिया.
इस घटना के बाद, मगरमच्छ ने फिर कभी बंदर से कभी दुश्मनी नहीं की और बंदर भी सुरक्षित रूप से अपने पेड़ पर रहने लगा. अब वह किसी भी खतरनाक जानवर पर भरोषा नहीं करता था.
उसने अपनी चतुराई से खुद को बचाया और मगरमच्छ को भी एक सबक सिखाया.
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि संकट के समय में धैर्य और चतुराई का उपयोग करके हम किसी भी समस्या से बाहर निकल सकते हैं। बुद्धिमानी से सोच-समझकर काम करने पर ही हम मुश्किलों का समाधान पा सकते हैं।