Friendly elephant and ant | hindi sort moral stories | दोस्ताना हाथी और चींटी की कहानी | सच्ची मित्रता | हाथी और चींटी | सच्ची दोस्ती | hindi kahani
दोस्ताना हाथी और चींटी की कहानी – friendly elephant and ant
बहुत समय पहले एक जंगल में एक बड़ा हाथी रहता था. उसका नाम गजराज था. गजराज बहुत शक्तिशाली एवं बुद्धिमान था. इसलिए उसकी हर जंगलवासी से अच्छी दोस्ती थी.
उसी जंगल में एक छोटी सी चींटी भी रहती थी उसको मीनू के नाम से जाना जाता था. और मीनू बहुत मेहनती एवं चालक चींटीयो मे से एक थी, लेकिन उसकी एक ही कमी भी थी – वह बहुत ही छोटी थी. पर फिर भी, उसकी और गजराज की काफ़ी गहरी दोस्ती थी.
हर दिन गजराज और मीनू दोनों मिलकर जंगल में घूमते, खेलते कूदते और खूब मजे करते.
गजराज अपनी सूंड से बड़े-बड़े पेड़ों के पत्ते तोड़कर मीनू के लिए लाता था. और मीनू अपने छोटे-छोटे नन्हें पैरों से गजराज की पीठ को साफ करती.
वे दोनों एक-दूसरे का बहुत ख्याल रखते थे. इसी तरह हसीं खुशी से उन दोनों का समय बीतता गया.
एक दिन जब गजराज नदी के किनारे पानी पीने गया. तो नदी का किनारा ज्यादा फिसलन भरा था और गजराज का पैर फिसल गया. वह नदी में गिर पड़ा और वही फंस गया.
गजराज ने वहा से निकलने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन उसका बड़ा और भारी शरीर होने के कारण वह जितना नदी की कीचड़ से निकलने की कोशिश करता वह और फंसता जा रहा था. उसने मदद के लिए जोर-जोर से पुकारना शुरू किया.
मीनू उस समय वही पास ही एक पेड़ के नीचे आराम कर रही थी. उसने गजराज की आवाज सुनकर वह तुरंत नदी की ओर दौड पड़ी. उसने वहा आकर देखा कि गजराज बुरी तरह से नदी मे फंसा हुआ है. और वहा उसकी मदद के लिए कोई नहीं है.
मीनू ने अपनी छोटी सी दिमाग़ से गजराज को बचाने के लिए उपाय सोचा.
मीनू ने अपने सभी चींटी दोस्तों को वहा बुलाया. वहा उन्होंने मिलकर बैठकर एक योजना बनाई. अपनी योजना के तहत एक लंबी कतार बनाई.
हर चींटी ने अपनी पूरी मेहनत और एकता दिखाते हुए. सभी ने मिलकर गजराज को बाहर निकालने का प्रयास किया. और सभी चींटियों ने अपने छोटे-छोटे जबड़ों से कीचड़ को खोदना शुरू किया और अपनी ताकत से गजराज को धकेलने लगीं.
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धीरे-धीरे गजराज कीचड़ से बाहर आने लगा. गजराज ने भी अपनी सूंड और पैरों का उपयोग करते हुए खुद को बाहर खींचने में उनकी मदद की.
थोड़ी देर के मेहनत बाद, गजराज आखिरकार नदी से बाहर आ गया. वह बहुत खुश था और उसकी आंखों में अभी आंसू आ गए थे. उसने मीनू और उसकी चींटी दोस्तों को धन्यवाद दिया.
गजराज ने सीखा कि सच्ची दोस्ती का कोई मापदंड नहीं होता. सच्चे दोस्त वही होते हैं जो मुश्किल समय में आपके काम आते हैं, चाहे वे कितने भी छोटे या कमजोर क्यों न हों इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ता.
मीनू ने भी यह सीखा कि साहस और एकता से कोई भी बड़ा काम आसानी से किया जा सकता है।
उस दिन से गजराज और मीनू की दोस्ती और ज्यादा गहरी हो गई. वे दोनों हमेशा साथ रहते और एक-दूसरे की मदद करते थे.
उनकी दोस्ती ने पूरे जंगल को यह संदेश दिया कि सच्ची दोस्ती आकार या ताकत पर निर्भर नहीं करती, बल्कि दिल की सच्चाई और निष्ठा पर निर्भर करती है.
इस प्रकार, गजराज और मीनू ने अपनी दोस्ती की मिसाल पूरे जंगल में कायम की और हमेशा खुशहाल और सुरक्षित जीवन बिताया।
कहानी की सीख
सच्चा दोस्त वही होता है जो आपके हर मुसीबत के समय आपके साथ खड़ा रहे. जैसे मीनू चींटी ने गजराज के साथ की.