Magical Turtle | the Golden Pond | जादुई कछुआ | Magical Turtle and the Golden Pond | hindi kahani
जादुई कछुआ और सुनहरी तालाब – Magical Turtle and the Golden Pond
एक घने जंगल के बीचोबीच एक सुंदर तालाब था जिसे ‘सुनहरी तालाब’ के नाम से जाना जाता था. यह तालाब अपनी साफ़ और चमकदार पानी के लिए काफ़ी लोकप्रिय था.
उस तालाब के किनारे दूर दूर से जानवर और पक्षी पानी पीने और आराम करने के लिए आते थे. लेकिन इस तालाब की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उसमें एक ” जादुई कछुआ ” रहता था जिसका नाम था काशी.
काशी कछुआ बहुत ही बुद्धिमान और चतुर था. उसके पास एक विशेष जादुई शक्ति थी जिससे वह दूसरों की मदद कर सकता था.
लेकिन काशी अपनी शक्ति का उपयोग केवल जरूरतमंदों और सच्चे दिल से मदद मांगने वालों के लिए ही करता था.
इससे सभी जंगल के जानवर एवं पक्षी कभी खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे थे. उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं थी.
ऐसे ही खुशहालियो मे सभी जानवर और पक्षी का समय बीत रहा था फिर एक दिन . जंगल में एक बड़ा संकट आ गया. क्योंकि जंगल में कई दिन से बारिश नहीं हुई थी और लगभग सभी जल स्रोत सूखने लगे थे. जानवर और पक्षी पानी के बिना परेशान होने लगे थे.
इसलिए सभी जानवर और पक्षीओ की एक बैठक हुई एवं उन सभी ने मिलकर निर्णय लिया कि वे काशी कछुआ से सहायता मांगेंगे.
अगले दिन जानवरो का एक समूह काशी के पास गया और उसे अपनी परेशानी बताई. काशी ने ध्यान से उनकी बात सुनी और कहा, “मैं तुम्हारी मदद करूंगा, लेकिन तुम्हें एक मेरी शर्त माननी होगी.
तुम्हें सभी के साथ मिलकर काम करना होगा और एक-दूसरे की मदद भी करनी होगी.”
जानवरों ने काशी की शर्त मान ली और उससे वादा किया कि वे सभी एकजुट होकर काम करेंगे.
तब काशी ने अपनी जादुई शक्ति का उपयोग करते हुए तालाब में पूरा पानी भर दिया. पानी से भरा तालाब देखकर जानवरों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
उन्होंने खुशी-खुशी पानी पिया और अपनी प्यास बुझाई.
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लेकिन काशी ने जानवरों को एक और संदेश दिया. उसने कहा, “यह पानी हमेशा नहीं रहेगा. तुम्हें इसे बचाने और सही तरीके से उपयोग करने की जिम्मेदारी उठानी होगी.
अगर तुम सभी ने पानी को बर्बाद किया, तो फिर से सूखा आ सकता है.”
जानवरों ने काशी की बात को गंभीरता से लिया और तालाब के पानी का सही तरीके से उपयोग करने का निर्णय लिया.
उन्होंने मिलकर एक योजना बनाई कि कैसे पानी को बर्बाद होने से बचाया जाए और कैसे सभी जानवरों को इसका लाभ भी मिले.
एक दिन, जंगल में एक लोमड़ी आई. वह बहुत चालाक थी और उसने पहले सुना था कि तालाब में कोई, ‘जादुई कछुआ ‘ रहता है.
उसने सोचा कि वह काशी को धोखा देकर तालाब का सारा पानी अपने कब्जे में कर लेगी. लोमड़ी काशी के पास गई और झूठी कहानी सुनाने लगी कि वह बहुत प्यासे जानवरों की मदद करना चाहती है और उसे ज्यादा पानी की जरूरत है.
काशी ने लोमड़ी की चालाकी को अच्छे से समझ लिया. और वह लोमड़ी से कहा, “अगर तुम्हारी नीयत सच्ची है,
तो तुम्हें बाकी जानवरों के साथ मिलकर काम करना होगा और तालाब का पानी आपस मे बांटना होगा. ” यह सुनकर लोमड़ी को समझ आ गया कि उसकी चालाकी यहां काम नहीं आएगी और वह निराश होकर वहा से चली गई.
इस प्रकार, काशी की बुद्धिमानी और जादुई शक्ति ने जंगल के सभी जानवरों को एकजुट कर दिया और उन्होंने मिलकर तालाब के पानी का सही तरीके से उपयोग किया.
सभी ने मिलकर अपने जंगल को हरा-भरा और खुशहाल बनाए रखा.
कहानी की सीख
काशी कछुआ की यह कहानी जंगल में एक मिसाल बन गई और सभी जानवरों ने सिखा कि मिलजुल कर काम करने से किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है। इस प्रकार, सुनहरी तालाब और उसके जादुई कछुआ ने जंगल में सदा के लिए शांति और समृद्धि बनाए रखी।