मिट्टी के दीपक की कहानी | Mitti ke deepak small kahaniya

Mitti ke deepak small kahaniya | मिट्टी के दीपक की कहानी | kerosene lamp short story | दीपक की कहानी

Mitti ke dipak ki kahani – मिट्टी के दीपक की कहानी

एक छोटे से कस्बे में दिवाली की तैयारियाँ जोरों पर थीं. वहा हर साल की तरह, उस कस्बे के लोग अपने घरों को साफ-सफाई करके , रंग-बिरंगी लाइटें भी लगाते थे, और सुंदर-सुंदर मिट्टी के दीये जलाते थे.

मिट्टी के दीपक की कहानी
दीपक की कहानी

 उस काबे में एक छोटा लड़का रहता था जिसका नाम रोहन था. रोहन बहुत ही उत्साहित था क्योंकि उसे दिवाली बहुत ज्यादा पसंद थी.

दिवाली से एक दिन पहले, रोहन अपने पिताजी के साथ बाजार गया . वहा के बाजार में तरह-तरह के रंग-बिरंगे मिट्टी के दीये और नये तरह के दिए भी बिक रहे थे.

रोहन ने बाजार मे और आगे जाकर देखा कि कुछ दीये मिट्टी के थे और वहा कुछ महंगे और सजावटी किस्म के दिए भी थे. उसने अपने पिताजी से कहा, “पिताजी, हम भी ये सुंदर महंगे दीये खरीदते हैं.

हमारे घर में बहुत अच्छी रोशनी होगी.”

पिताजी ने मुस्कुराते हुए रोहन से कहा, “बेटा, महंगे दीये दिखने मे जरूर सुंदर होते हैं, लेकिन हमारे पुराने मिट्टी के दीये भी हमारे लिए खास होते हैं. वे हमारे परंपरा और हमारी सादगी को दर्शाते हैं.

इसलिए चलो, हम कुछ “मिट्टी के दीये “भी खरीदते हैं.”

रोहन थोड़ा निराश हुआ लेकिन उसने पिताजी की बात मान ली. उन्होंने कुछ मिट्टी के दीये और कुछ सजावटी दीये दोनों ही खरीदे.

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 और घर आकर रोहन ने दोनों तरह के दीयों को सजाना शुरू किया. सजावटी दीये चमकदार और आकर्षक लग रहे थे, जबकि मिट्टी के दीये बहुत साधारण और बिना सजावट के थे.

रात होते ही रोहन ने सभी दीयों को एक साथ जलाया. सजावटी दीयों की बहुत चमकदार रोशनी ने पूरे घर को रंगीन और खूबसूरत बना दिया.

 लेकिन थोड़ी ही देर में, एक-एक करके वे सभी सजावटी दीये बुझने लगे. रोहन ने देखा कि सजावटी दीयों की रोशनी तो काफ़ी तेज थी, लेकिन वे ज्यादा देर तक नहीं जल सके.

वहीं दूसरी ओर, मिट्टी के दीये स्थिर और शांतिपूर्ण रोशनी बिखेर रहे थे. उनकी रोशनी ने पूरे घर को गर्मी और पूरी सादगी से भर दिया. थोड़ी देर बाद रोहन ने महसूस किया कि मिट्टी के दीये अधिक समय तक जलते रहे और उनकी रोशनी भी कभी स्थिर थी.

तभी रोहन ने पिताजी से कहा, “पिताजी, आप सही कह रहे थे. मिट्टी के दीयों की सादगी और स्थिरता सच में खास होती है. वे हमारे परंपरा को जीवित रखते हैं और उनकी रोशनी भी स्थायी होती है.”

पिताजी ने मुस्कुराते हुए रोहन से कहा, “हां, बेटा, कभी-कभी सादगी में ही असली खूबसूरती छिपी होती है. मिट्टी के दीये हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि असली खुशी छोटी-छोटी चीजों में ही छिपी होती है.”

उस दिन से रोहन ने सीखा कि सादगी और परंपरा की अपनी एक अलग ही महत्ता होती है. उसने मिट्टी के दीयों की कद्र करना शुरू कर दिया और हर साल दिवाली पर मिट्टी के दीये जलाने का वादा भी किया.

इस प्रकार, रोहन ने मिट्टी के दीपक की सुंदरता और महत्व को समझा और उसने अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी यह सिखाया कि असली खुशी सादगी और अपनी परंपरा में ही होती है।

दीपक की कहानी की सीख

गाँव में दिवाली का त्योहार और भी अधिक रोशन और खुशी से भर गया, क्योंकि सभी ने सादगी की इस खूबसूरत कहानी को अपनाया।

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