रहस्यमय कहानी इन हिंदी | Mysterious story in hindi | rahasyamayi kahaniya

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आज आपको लेकर चलते है Rahasyamayi safar पर जहा आपको कुछ चुनिंदा Rahasyamay kahaniya से अवगत कराएँगे, जो आपको पढ़ने और सुनने मे बेहद ही रोचक होंगी.

चलिए बिना देर किये चलते है और शुरुआत करते है अपने Rahasyamayi safar को.

रहस्यमयी महल की कहानी ( Mysterious palace story in hindi. )

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एक सुन्दर एवं शांतिपूर्ण गांव था. जिसका नाम था शांतिनगर. यह गाँव चारो ओर से पहाड़ों के बीच बसा हुआ था और यहाँ के लोग बहुत ही सीधे साधे और बहुत शांतिप्रिय थे.

उस गाँव के अंत मे एक बहुत पुराना महल था, जिसे लोग रहस्यमयी महल के नाम से भी जानते थे. इस महल के बारे में वहा उसके कई कहानियाँ प्रचलित थीं, लेकिन किसी ने भी वहाँ जाने की हिम्मत अभी तक नहीं की थी.

महल के बारे मे कहा जाता था कि यह महल एक समय में बेहद ही सुंदर और भव्य था. यहाँ एक राजा और उसकी रानी पुरे परिवार सहित रहते थे.

उस राजा का नाम विक्रम सिंह था और रानी का नाम माधवी. राजा विक्रम सिंह बहुत ही न्यायप्रिय और वीर पुरुष थे, लेकिन एक दिन अचानक से उस महल में आग लग गई और उस आग से राजा-रानी दोनों की मृत्यु हो गई. तब से यह महल वीरान हो गया और लोग इसे भूतिया महल भी मानने लगे.

एक दिन उस गाँव के कुछ युवकों ने मिलकर यह तय किया कि वे इस महल के सभी रहस्य के बारे मे पता लगाएंगे. वे रात के समय महल में गए और वहाँ की जाँच अच्छे से करने लगे. जब वो सभी अपने काम मे जुटकर अच्छे से वे महल की जांच कर रहे थे. तभी महल के अंदर से उन्हें अजीब-अजीब तरह की आवाजें सुनाई देने लगीं. कभी किसी के वहा रोने की आवाज आती , तो कभी किसी के हँसने की. वे सभी काफ़ी डर गए लेकिन फिर भी वो आगे बढ़ते रहे.

महल के अंदर एक पुरानी तिजोरी थी। युवकों ने तिजोरी को खोलने की कोशिश की, लेकिन वह बहुत ही मजबूत थी। अचानक से एक युवक को तिजोरी के पास एक पुराना कागज मिला, जिस पर कुछ लिखा हुआ था। उस कागज पर लिखा था कि इस तिजोरी में राजा विक्रम सिंह का पूरा खजाना छिपा हुआ है और इस खजाने को खोलने के लिए एक विशेष मंत्र की आवश्यकता है.

उन्हें जब इस बात का पता लगा तो उन युवकों ने उस मंत्र की खोज शुरू की. वे महल के हर कोने में गए और अंततः उन्हें एक पुरानी किताब मिली, जिसमें वह मंत्र लिखा हुआ था. उन्होंने मंत्र पढ़ा और तिजोरी अपने आप खुल गई. उस तिजोरी के अंदर उन्हें बहुत सारा सोना, चाँदी और कीमती रत्न मिले.

युवकों ने उस खजाने को गाँव के लोगों के साथ बाँट दिया और महल का पुनर्निर्माण किया. अब वह महल फिर से सुंदर और भव्य हो गया और गाँव के लोग वहाँ खुशी-खुशी रहने लगे.

इस तरह, रहस्यमयी महल का रहस्य सुलझ गया और गाँव के लोग एक नई शुरुआत कर सके।

रहाशयमय गुलाब

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एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक रहस्यमयी गुलाब का पौधा था. इस गुलाब के बारे में कहा जाता था कि यह किसी जादुई शक्ति से भरा हुआ है। गाँव के लोग इस गुलाब को “रहस्यमयी गुलाब” कहते थे.

क्योंकि यह गुलाब रात के समय चमकता था और दिन में साधारण गुलाब की तरह दिखता था. गाँव के लोग इस गुलाब की देखभाल बहुत ध्यान से किया करते थे. एक दिन, गाँव में एक अजनबी आदमी आया. उसने गाँव वालों से इस रहस्यमयी गुलाब के बारे में सुना और उसे देखने की इच्छा जताई.

गाँव वालों ने उसे गुलाब के पास ले जाकर दिखाया. अजनबी आदमी ने गुलाब को ध्यान से देखा और कहा, “यह गुलाब साधारण नहीं है. इसमें एक गहरा रहस्य छुपा हुआ है. ”अजनबी आदमी ने गाँव वालों को बताया कि यह गुलाब एक प्राचीन जादूगर की देन है, जिसने इसे अपनी प्रेमिका के लिए बनाया था.

जादूगर ने इस गुलाब में अपनी सारी जादुई शक्तियाँ भर दी थीं ताकि उसकी प्रेमिका हमेशा सुरक्षित रहे. लेकिन एक दिन, जादूगर की प्रेमिका अचानक गायब हो गई और तब से यह गुलाब रहस्यमयी बन गया. गाँव के लोग अजनबी आदमी की बातों से चकित हो गए. उन्होंने सोचा कि अगर इस गुलाब में सचमुच जादू है, तो इसे और भी सुरक्षित रखना चाहिए.

उन्होंने गुलाब के चारों ओर एक बगीचा बनाया और उसकी देखभाल करने लगे. समय बीतता गया और गाँव में सुख-शांति बनी रही. लोग मानते थे कि रहस्यमयी गुलाब की जादुई शक्तियों ने गाँव को बुरी शक्तियों से बचा रखा है. इस तरह, रहस्यमयी गुलाब की कहानी गाँव में पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती रही और यह गुलाब गाँव की पहचान बन गया.

रहस्यमयी पुस्तकालय की कहानी

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यह कहानी एक छोटे से गाँव सूर्यपुर की है। यह गाँव अपनी सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए प्रसिद्ध था। गाँव के बीचों-बीच एक पुराना पुस्तकालय था, जिसे लोग रहस्यमयी पुस्तकालय के नाम से जानते थे। इस पुस्तकालय के बारे में कहा जाता था कि यहाँ रात के समय किताबें खुद-ब-खुद खुल जाती हैं और पन्ने पलटने लगते हैं।

कहा जाता था कि यह पुस्तकालय एक समय में बहुत ही प्रसिद्ध था। यहाँ दूर-दूर से लोग पढ़ने आते थे। इस पुस्तकालय के संस्थापक पंडित रामदास थे, जो एक महान विद्वान थे। पंडित रामदास ने अपनी पूरी जिंदगी इस पुस्तकालय को समर्पित कर दी थी। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद, यह पुस्तकालय वीरान हो गया और लोग इसे भूतिया मानने लगे।

एक दिन गाँव के कुछ बच्चों ने तय किया कि वे इस पुस्तकालय के रहस्य को जानेंगे। वे रात के समय पुस्तकालय में गए और वहाँ की जाँच करने लगे। जैसे ही वे पुस्तकालय के अंदर पहुँचे, उन्हें अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देने लगीं। कभी किसी के पन्ने पलटने की आवाज, तो कभी किसी के चलने की। वे डर गए लेकिन फिर भी आगे बढ़ते रहे।

पुस्तकालय के अंदर एक पुरानी अलमारी थी। बच्चों ने अलमारी को खोलने की कोशिश की, लेकिन वह बहुत ही मजबूत थी। अचानक से एक बच्चे को अलमारी के पास एक पुराना कागज मिला, जिस पर कुछ लिखा हुआ था। उस कागज पर लिखा था कि इस अलमारी में पंडित रामदास की सबसे प्रिय पुस्तक छिपी हुई है और इसे खोलने के लिए एक विशेष मंत्र की आवश्यकता है।

बच्चों ने उस मंत्र की खोज शुरू की। वे पुस्तकालय के हर कोने में गए और अंततः उन्हें एक पुरानी किताब मिली, जिसमें वह मंत्र लिखा हुआ था। उन्होंने मंत्र पढ़ा और अलमारी खोल दी। अलमारी के अंदर उन्हें पंडित रामदास की सबसे प्रिय पुस्तक मिली, जिसमें उनके सभी ज्ञान और रहस्यों का संग्रह था।

बच्चों ने उस पुस्तक को गाँव के लोगों के साथ बाँटा और पुस्तकालय का पुनर्निर्माण किया। अब वह पुस्तकालय फिर से जीवंत हो गया और गाँव के लोग वहाँ खुशी-खुशी पढ़ने लगे।

इस तरह, रहस्यमयी पुस्तकालय का रहस्य सुलझ गया और गाँव के लोग एक नई शुरुआत कर सके।

रहस्यमयी खजाना

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एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक पुराना और रहस्यमयी मंदिर था। इस मंदिर के बारे में कहा जाता था कि इसमें एक खजाना छुपा हुआ है, जिसे केवल सच्चे दिल वाले ही पा सकते हैं। गाँव के लोग इस खजाने की कहानियाँ सुनते हुए बड़े हुए थे, लेकिन किसी ने भी इसे कभी देखा नहीं था।

एक दिन, गाँव में एक युवा लड़का आया जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन ने गाँव वालों से इस रहस्यमयी खजाने के बारे में सुना और उसे खोजने का निश्चय किया। उसने गाँव के बुजुर्गों से मंदिर के बारे में जानकारी ली और खजाने की खोज में निकल पड़ा।

मंदिर के अंदर घुसते ही अर्जुन को अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगीं। उसने देखा कि मंदिर के अंदर कई रहस्यमयी चित्र और संकेत बने हुए थे। अर्जुन ने उन संकेतों को ध्यान से देखा और समझने की कोशिश की। धीरे-धीरे, वह उन संकेतों का मतलब समझने लगा और खजाने की ओर बढ़ता गया।

अर्जुन ने देखा कि मंदिर के एक कोने में एक पुरानी सी तिजोरी रखी हुई है। उसने तिजोरी को खोलने की कोशिश की, लेकिन वह तिजोरी बहुत भारी थी। अर्जुन ने अपनी पूरी ताकत लगाई और आखिरकार तिजोरी खोलने में सफल हो गया। तिजोरी के अंदर उसे सोने-चांदी के सिक्के, हीरे-जवाहरात और कई कीमती वस्तुएं मिलीं।

अर्जुन ने खजाने को देखकर बहुत खुश हुआ, लेकिन तभी उसे एक पुरानी किताब मिली। किताब में लिखा था कि यह खजाना केवल सच्चे दिल वाले के लिए है और इसे केवल वही पा सकता है जो इसे सही तरीके से इस्तेमाल करेगा। अर्जुन ने खजाने को गाँव के लोगों के साथ बांटने का निश्चय किया ताकि सभी का जीवन बेहतर हो सके।

गाँव के लोग अर्जुन की ईमानदारी और साहस की प्रशंसा करने लगे। उन्होंने अर्जुन को गाँव का नेता बना दिया और उसके नेतृत्व में गाँव में सुख-शांति और समृद्धि आ गई। इस तरह, अर्जुन की कहानी गाँव में एक प्रेरणा बन गई और रहस्यमयी खजाने की कहानी पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती रही।

रहस्यमयी जंगल की कहानी

यह कहानी एक छोटे से गाँव हरिपुर की है। यह गाँव घने जंगलों से घिरा हुआ था और यहाँ के लोग बहुत ही मेहनती और साहसी थे। गाँव के पास एक घना जंगल था, जिसे लोग रहस्यमयी जंगल के नाम से जानते थे। इस जंगल के बारे में कहा जाता था कि यहाँ रात के समय अजीब-अजीब घटनाएँ होती हैं और कुछ अदृश्य शक्तियाँ यहाँ घूमती हैं।

कहा जाता था कि यह जंगल एक समय में बहुत ही सुंदर और हरा-भरा था। यहाँ एक राजा और उसकी रानी रहते थे। राजा का नाम वीरेंद्र सिंह था और रानी का नाम सावित्री। राजा वीरेंद्र सिंह बहुत ही न्यायप्रिय और वीर थे, लेकिन एक दिन अचानक से जंगल में आग लग गई और राजा-रानी दोनों की मृत्यु हो गई। तब से यह जंगल वीरान हो गया और लोग इसे भूतिया मानने लगे।

एक दिन गाँव के कुछ युवकों ने तय किया कि वे इस जंगल के रहस्य को जानेंगे। वे रात के समय जंगल में गए और वहाँ की जाँच करने लगे। जैसे ही वे जंगल के अंदर पहुँचे, उन्हें अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देने लगीं। कभी किसी के रोने की आवाज, तो कभी किसी के हँसने की। वे डर गए लेकिन फिर भी आगे बढ़ते रहे।

जंगल के अंदर एक पुराना मंदिर था। युवकों ने मंदिर को खोलने की कोशिश की, लेकिन वह बहुत ही मजबूत था। अचानक से एक युवक को मंदिर के पास एक पुराना कागज मिला, जिस पर कुछ लिखा हुआ था। उस कागज पर लिखा था कि इस मंदिर में राजा वीरेंद्र सिंह का खजाना छिपा हुआ है और इसे खोलने के लिए एक विशेष मंत्र की आवश्यकता है।

युवकों ने उस मंत्र की खोज शुरू की। वे जंगल के हर कोने में गए और अंततः उन्हें एक पुरानी किताब मिली, जिसमें वह मंत्र लिखा हुआ था। उन्होंने मंत्र पढ़ा और मंदिर खोल दिया। मंदिर के अंदर उन्हें बहुत सारा सोना, चाँदी और कीमती रत्न मिले।

युवकों ने उस खजाने को गाँव के लोगों के साथ बाँटा और जंगल का पुनर्निर्माण किया। अब वह जंगल फिर से हरा-भरा और सुंदर हो गया और गाँव के लोग वहाँ खुशी-खुशी घूमने लगे।

इस तरह, रहस्यमयी जंगल का रहस्य सुलझ गया और गाँव के लोग एक नई शुरुआत कर सके।

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