मोर और कौआ की कहानी |सच्ची दोस्ती की कहानी | hindi short stories

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कौआ और मोर की कहानी – peacock and crow small story

एक बहुत सुंदर और घना जंगल था जिसमें कई तरह के जीव-जंतु अपना बसेरा बनाकर शांतिपूर्ण रहते थे. उसी जंगल में एक मोर और एक कौआ भी रहते थे.

 मोर अपने सुंदर और चमकीले पंखों के लिए जंगल मे काफ़ी मशहूर था. जब भी वह अपने पंख फैलाता, सभी जानवर उसकी सुंदरता को दूर से निहारते थे. दूसरी ओर, कौआ साधारण और काले रंग का था और कोई उसे विशेष ध्यान नहीं देता था

मोर अक्सर अपनी सुंदरता पर पर गर्व करता और कौआ को देखकर उसका मजाक उड़ाता. वह कौआ से कहता, “कौआ, तुम्हारी तो कोई सुंदरता नहीं है.

देखो, मेरे पंख कितने सुंदर और रंग-बिरंगे हैं. तुम्हें तो मेरे साथ रहना भी नहीं चाहिए.”

कौआ इस बात पर बहुत दुखी होता, लेकिन वह समझदार था और उसने कभी भी मोर की बातों का बुरा नहीं मानता था.

उसने हमेशा अपने दिल से मोर की बातों को नजरअंदाज किया करता था. और अपनी सामान्य जीवन शैली को बनाए हुए शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करता था.

फिर एक दिन, अचानक मौसम बदल गया और तेज बारिश शुरू हो गई. बारिश इतनी तेज थी कि मोर के सारे रंग-बिरंगे पंख भीग गए और वह उड़ नहीं पा रहा था.

उसके भारी पंख उसे जमीन पर गिराने लगे. मोर को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. वह डर से कांपने लगा और अपनी मदद के लिए चिल्लाने लगा

कौआ, जो उसके पास ही बैठा था, उसने मोर की हालत देखी. उसने सोचा की , “मुझे मोर की मदद करनी चाहिए, चाहे वह मेरे बारे में कुछ भी कहे.

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” कौआ तुरंत मोर के पास गया और अपने छोटे-छोटे पंखों से ही उसे बारिश से बचाने की कोशिश करने लगा.

मोर ने कौआ को देखकर कहा, “कौआ, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम मेरी मदद क्यों कर रहे हो?”

कौआ ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मोर भाई, हम सभी एक ही जंगल मे रहते है. और यही के निवासी हैं. हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए, चाहे हमारे पंख किसी भी रंग के क्यों न हो.”

इतना कौआ ने मोर से कहा तो मोर चुप हो गया. और कौवा अपना काम करता रहा.

फिर कौआ ने मोर को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया और उसे बारिश से बचा लिया. जब बारिश रुकी, तो मोर ने अपने भीगे पंखों को फैलाकर सुखाया.

 वह कौआ की ओर देखता रहा और उसकी आँखों में आभार के आँसू आ गए. तब मोर ने कहा, “कौआ, भाई मुझे माफ कर दो. क्योंकि मैं तुम्हारे काले रंग को लेकर काफ़ी भला भूरा कहता था. फिर भी अपने मेरे मुसीबत के समय काफ़ी मदद की.

 मैंने हमेशा तुम्हें तुम्हारी साधारणता के लिए ताने मारे. लेकिन आज तुमने दिखा दिया कि सच्ची सुंदरता दिल में होती है, न कि किसी की पंखों में.”

कौआ ने मोर को गले लगाते हुए कहा, “कोई बात नहीं मोर भाई. हम सभी में कुछ न कुछ खामिया और खासियत दोनों होती है. इसलिए हमें एक-दूसरे को निचा न दिखाकर सबकी कद्र करनी चाहिए.”

उस दिन के बाद से, मोर और कौआ अच्छे दोस्त बन गए. मोर ने कभी भी कौआ की काला और साधारण होने का मजाक नहीं उड़ाया और दोनों ने मिलकर जंगल में खुशी-खुशी जीवन बिताने लगे.

 उनकी दोस्ती जंगल के अन्य जानवरों के लिए भी एक प्रेरणा बन गई.

कहानी की सीख

सच्ची दोस्ती सुंदरता से नहीं, दिल से होती है. हमें दूसरों की कद्र उनके बाहरी रूप से नहीं, बल्कि उनके अंदरूनी गुणों से करनी चाहिए।

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