Pyasa Kauwa Short Story In Hindi With Moral | प्यासा कौवा की कहानी

Pyasa Kauwa Short Story In Hindi With Moral – गर्मियों का मौसम था। सूरज आसमान में आग बरसा रहा था। सभी जीव-जंतु पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे। एक छोटे से गाँव के पास एक पेड़ पर एक कौवा रहता था। उस दिन वह बहुत प्यासा था। सुबह से वह पानी की खोज में उड़ान भर रहा था, लेकिन कहीं भी उसे पानी नहीं मिला। जैसे-जैसे समय बीतता गया, उसकी प्यास बढ़ती गई और शरीर थकावट महसूस करने लगा।

pyasa kauwa short story in hindi with moral
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कौवे ने सोचा, “अगर पानी न मिला तो मेरी जान जा सकती है। मुझे किसी भी तरह से पानी ढूंढना ही होगा।”

उड़ते-उड़ते, वह एक खेत के पास पहुँचा। वहाँ उसने देखा कि एक पेड़ के नीचे एक घड़ा रखा हुआ है। कौवा उत्साहित हो गया। उसने सोचा, “हो न हो, इस घड़े में पानी होगा।”

कौवा तुरंत घड़े के पास उतरा। उसने घड़े के अंदर झाँका। उसके मन में खुशी और निराशा का मिला-जुला भाव आया। खुशी इसलिए क्योंकि घड़े के तले में थोड़ा सा पानी था, और निराशा इसलिए क्योंकि पानी बहुत नीचे था और उसकी चोंच वहाँ तक नहीं पहुँच सकती थी।

कौवा परेशान हो गया। वह सोचने लगा, “इतने करीब आकर भी अगर पानी न पी सका, तो मेरा यह प्रयास व्यर्थ जाएगा।”

कौवा बैठकर सोचने लगा। वह समझ गया कि केवल मेहनत से ही समाधान निकलेगा। उसने चारों ओर देखा। अचानक उसकी नजर पास पड़े छोटे-छोटे कंकड़ों पर पड़ी। कौवे के दिमाग में एक युक्ति आई। उसने सोचा, “अगर मैं इन कंकड़ों को घड़े में डालता रहूँ, तो पानी ऊपर आ सकता है।”

कौवा बिना समय गंवाए उड़कर कंकड़ों के पास गया। उसने एक-एक कंकड़ अपनी चोंच में उठाया और घड़े में डालना शुरू किया। वह लगातार कंकड़ों को घड़े में डालता रहा। धीरे-धीरे पानी ऊपर आने लगा। कौवे ने महसूस किया कि उसकी मेहनत रंग ला रही है।

हालाँकि, यह काम आसान नहीं था। कंकड़ों को उठाना और घड़े में डालना उसके लिए थका देने वाला था। लेकिन कौवे ने हार नहीं मानी। वह हर बार खुद को प्रेरित करता और कहता, “बस थोड़ी और मेहनत, पानी मेरे पास होगा।”

लगभग आधे घंटे की मेहनत के बाद, घड़े में पानी इतना ऊपर आ गया कि कौवा आराम से अपनी चोंच से उसे पी सकता था। कौवा बहुत खुश हुआ। उसने अपनी प्यास बुझाई और राहत की साँस ली।

पानी पीने के बाद, कौवे ने आसमान की ओर देखा और मन ही मन सोचा, “मेहनत और धैर्य से हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। अगर मैं हार मान लेता, तो आज मेरी जान चली जाती।”

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कठिन परिस्थितियों में धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए। समस्याओं का हल तभी निकलता है जब हम कोशिश करना नहीं छोड़ते। “मेहनत और बुद्धिमत्ता से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।”

निष्कर्ष

कौवे की इस कहानी ने यह साबित कर दिया कि जीवन में सफलता पाने के लिए केवल इच्छाशक्ति ही नहीं, बल्कि सही योजना और निरंतर प्रयास भी जरूरी है। हमें किसी भी समस्या के सामने हार मानने के बजाय उसे हल करने के उपाय ढूंढने चाहिए। यही जीवन का असली सबक है

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