सच बोलने वाली राजकुमारी | Hindi kahaniya | short story in hindi

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सच बोलने वाली राजकुमारी की कहानियाँ – Truth telling princess

पुराने समय मे एक बहुत बड़ा और शांतिपूर्ण राज्य हुआ करता था जिसको सत्यपुर के नाम से जाना जाता था. सत्यपुर राज्य अपनी शांति और समृद्धि के लिए कभी प्रसिद्ध था.

यहाँ के लोग सभी का आदर करते थे. और वो किसी झगड़े करने से ज्यादा उसका मिलकर समाधान करने मे विश्वास करते थे.

इस राज्य के बहुत सुन्दर और बुद्धिमान राजकुमारी थी जिसका नाम रुक्मिणी था. राजकुमारी की एक सबसे बड़ी खासियत थी की वह कभी झूठ नहीं बोलती थी. वह हमेशा सच ही बोलती थी.

चाहे परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो. सत्य की ताकत में उसका विश्वास अडिग था. इसलिए सब लोग राजकुमारी इज्जत करते थे.

राज्य के लोग रुक्मिणी की सत्यनिष्ठा की बहुत प्रशंसा करते थे. उसकी सच्चाई और ईमानदारी ने राज्य को और भी अधिक शक्तिशाली और खुशहाल बना दिया था.

 रुक्मिणी के पिता राजा विशाल, भी अपनी बेटी पर गर्व करते थे और जानते थे कि उसकी सच्चाई राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

इसतरह वहा के लोग काफ़ी खुश रहते थे. और शांति और खुशहाली भरा जीवन व्यतीत करते थे.

कहा जाता है की किसी की खुशी और सुख शांति हर किसी को पसंद नहीं होती उसी तरह वहा की खुशी और शांतिपूर्ण जीवन को देखकर एक शक्तिशाली जादूगर जिसका नाम माया था. उस राज्य पर अपने जादू से आक्रमण करने का बहुत पहले से प्लान बना रहा था

और एक दिन सत्यपुर मे माया जादूगर का आगमन हुआ. उसने आते ही अपने जादू की शक्ति से पुरे राज्य मे जादू का प्रभाव फैलाना शुरू किया.

माया का जादू बहुत खतरनाक तरह का था एवं उसने राज्य के लोगों के मन में झूठ और भ्रम पैदा करना शुरू कर दिया. लोग एक-दूसरे पर शक करने लगे और पुरे राज्य में अशांति फैल गई.

राजा विशाल ने माया के शक्तिशाली जादू का सामना करने के लिए एक सभा बुलाई. वहा राजकीय बैठक मे सभी मंत्रियों और विद्वानों ने कई सुझाव दिए, लेकिन कोई भी माया के जादू को तोड़ने का सही उपाय नहीं ढूंढ पाया.

 तभी राजकुमारी रुक्मिणी ने आगे बढ़कर कहा, “पिता जी, मुझे माया का सामना करने करने का मौका दीजिए. मैं सत्य की शक्ति से उसके झूठ और भ्रम को दूर कर सकती हूँ.

राजा विशाल ने कुछ सोचकर रुक्मिणी को अनुमति दे दी. रुक्मिणी ने माया को चुनौती दी और कहा, “मैं तुम्हारे सभी झूठों और भ्रमों का सामना करूंगी और सत्य की शक्ति से तुम्हें पराजित करुँगी.

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माया ने राजकुमारी की चुनौती स्वीकार की और दोनों के बीच एक महा मुकाबला शुरू हुआ. माया ने अपने जादू से कई भ्रम पैदा किए और राज्य के लोगों को गुमराह करने की कई कोशिश की.

लेकिन रुक्मिणी ने अपनी सच्चाई और ईमानदारी से उस हर भ्रम को दूर कर दिया. उसने माया के हर झूठ का पर्दाफाश किया और सत्य की शक्ति को भी साबित किया.

माया ने देखा कि उसकी सारी कोशिशें अब विफल हो रही हैं और रुक्मिणी की सच्चाई के आगे उसका जादू बहुत कमजोर पड़ रहा है.

अंत में, माया ने हार मान ली और राज्य छोड़कर भाग गया. राज्य के लोगों ने खुशी-खुशी अपनी राजकुमारी की जय-जयकार की और सत्य की विजय का जश्न भी मनाया.

राजा विशाल ने गर्व से कहा, “रुक्मिणी, तुम्हारी सच्चाई और ईमानदारी ने आज हमारे राज्य को बचा लिया. सत्य की शक्ति हमेशा विजयी होती है.

” रुक्मिणी ने मुस्कुराते हुए कहा, “पिता जी, सत्य ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है. हमें हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए.

उस दिन से सत्यपुर राज्य और भी अधिक खुशहाल और समृद्ध हो गया। रुक्मिणी की सत्यनिष्ठा ने सभी को यह सिखाया कि सच्चाई की ताकत अडिग होती है और हमें हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए.

राजकुमारी रुक्मिणी की सच्चाई और साहस की कहानी पूरे राज्य में मशहूर हो गई और सत्यपुर राज्य ने सदैव सत्य के मार्ग पर चलते हुए खुशहाल जीवन बिताया.

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें यही सीख मिलता है की कभी सचाई की ही जीत होती है

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